जालंधर : जल्द बसों के लिए ट्रांसपोर्ट विभाग से परमिट की जरूरत नहीं होगी, यह बसें सिर्फ लाइसेंस लेकर ही चलाई जा सकेंगी। इसके लिए केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने सात जनवरी को ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी कर सुझाव व आपत्तियां मांगी हैं। एक महीने का वक्त दिया गया है। पंजाब में बस ट्रांसपोर्ट पर एकाधिकार की परंपरा के लिए केंद्र की यह योजना बड़ा झटका साबित हो सकती है। वहीं, इस फैसले से बस ट्रांसपोर्ट के कारोबार में कार्पोरेट सेक्टर की भी एंट्री होगी, क्योंकि बसों को ओला-उबर जैसी कैब की तरह लाइसेंस के आधार पर चलाया जा सकता है। यह ड्राफ्ट नोटिफिकेशन पंजाब सरकार को भी भेजा गया है। स्टेट ट्रांसपोर्ट कमिश्नर डॉ. अमरपाल सिंह ने पुष्टि करते हुए कहा कि ट्रांसपोर्ट विभाग के पास ड्राफ्ट आ चुका है।
इन बसों को मिलेगी परमिट से छूट
केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने मोटर व्हीकल एक्ट के सेक्शन 66 में यह बदलाव किया है। इसके मुताबिक 22 सीटों से ज्यादा क्षमता वाली एसी डीलक्स पैसेंजर बस को परमिट लेने की जरूरत नहीं होगी। वैसे, इसकी बुनियाद केंद्र सरकार ने संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट में ही रख दी थी, जिसमें सेक्शन 67 के क्लाउज तीन में राज्य सरकार को यह छूट दी थी कि सरकार ऐसी स्कीम बना सकती है। इसमें लाइसेंस पर पैसेंजर व गुड्स व्हीकल को चलाया जा सकता है। मोटर व्हीकल एक्ट में पहली बार परमिट की जगह लाइसेंस शबद का इस्तेमाल किया गया है।
रूट व टाइम टेबल तय करता है परमिट
मोटर व्हीकल एक्ट के सेक्शन 66 में पैसेंजर बसों के लिए परमिट लेना अनिवार्य किया गया है। इस परमिट के जरिये ही सरकार उन बसों के संचालन का एरिया, उसका रूट, मकसद और टाइम टेबल तय करती है। हालांकि लाइसेंस देने से पहले सरकार क्या नियम बनाती है, इसके बारे में अभी कोई जानकारी नहीं दी गई है।
प्राइवेट ट्रांसपोर्टरों को लगेगा झटका
सरकार यह स्कीम लागू करती है तो प्राइवेट ट्रांसपोर्टरों को बड़ा झटका लगेगा। केंद्र से लाइसेंस मिला तो यह बसें देशभर में कहीं भी आ-जा सकेंगी। इसी तरह राज्य सरकार से लाइसेंस मिला तो फिर पूरे पंजाब में चलेंगी। इनके लिए परमिट खत्म किया जा रहा है तो जाहिर है कि लाइसेंस में अभी परमिट के हिसाब से रूट, टाइम टेबल व एरिया से इन्हें छूट दी जा सकती है। ट्रांसपोर्ट अधिकारी मान रहे हैं कि यह कवायद ओला-उबर की तरह बसों को भी चलाने की है। इनमें एक बार लाइसेंस लेकर बस मालिक चाहे तो कितनी ही बसें चला सकते हैं। यहां तक कि लोगों की खरीदी प्राइवेट बसों को अपने लाइसेंस में शामिल कर कैब की तरह चला सकते हैं। यही नहीं, प्राइवेट बसों के बराबर व लोगों की जरूरत के हिसाब से एसी बसें चलेंगी तो लोग उन्हें ही तरजीह देंगे। ऐसे में प्राइवेट ट्रांसपोर्टरों को घाटा होगा।
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