बचपन में होने वाली बीमारियों में कैंसर मौत के सबसे बड़े कारण के रूप में उभरा है। हर साल, नवजात से लेकर 18 साल तक के बच्चे बड़ी संख्या में कैंसर के शिकार हो रहे हैं। बच्चों में कैंसर के लक्षण कई बार सीधे तौर पर परिलक्षित नहीं होते, जिस कारण इस जानलेवा बीमारी का पता देरी से चलता है। हालांकि कुछ तरीके हैं, जिन पर गौर किया जाए तो इस बीमारी का पता जल्दी भी लगाया जा सकता है। फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के पीडियाट्रिक हीमोटोलॉजी, ओंकोलॉजी और बोनमैरो ट्रांसप्लांट के एडिशनल डायरेक्टर और एचओडी डॉ. विकास दुआ ने बच्चों में होने वाले चार प्रमुख कैंसर और उनके लक्षणों के बारे में बताया।
एक्यूट ल्यूकेमिया : ल्यूकेमिया बच्चों में होने वाला सबसे आम कैंसर है। आमतौर पर यह दो से चार साल की उम्र के बच्चों को अपनी चपेट में लेता है। ल्यूकेमिया बोनमैरो यानी अस्थिमज्जा का कैंसर है। ल्यूकेमिया के शिकार बच्चों में चार में से तीन मामले एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया के होते हैं। वहीं बचा हुआ एक केस एक्यूट मिलॉइड ल्यूकेमिया का होता है।
ल्यूकेमिया के लक्षण : हड्डी और जोड़ों में दर्द, थकान, कमजोरी, रक्तस्राव, लंबे समय तक बुखार, वजन कम होना।
ब्रेन ट्यूमर : ब्रेन ट्यूमर या तंत्रिका तंत्र में होने वाले ट्यूमर बच्चों में होने वाला दूसरा प्रमुख कैंसर है। ब्रेन ट्यूमर कई प्रकार के होते हैं और उन सभी का परिलक्षण तथा ट्रीटमेंट अलग-अलग है। बच्चों में ब्रेन ट्यूमर की बात करें तो यह उनके मस्तिष्क के निचले हिस्से से शुरू होता है। हालांकि, बच्चों और वयस्कों में होने वाले ब्रेन ट्यूमर्स में अंतर होता है लेकिन इसके लक्ष्ण समान होते हैं।
ब्रेन ट्यूमर्स के लक्षण : सिरदर्द (सुबह उल्टी होने के साथ), चक्कर आना, संतुलन में समस्या, देखने, सुनने या बोलने में समस्या, लगातार उल्टियां होना।
न्यूरोब्लास्टोमा : यह बीमारी नवजातों और बहुत कम उम्र के बच्चों में अविकसित नर्व सेल से शुरू होती है। ज्यादातर यह बीमारी 5 साल से कम उम्र के बच्चों में होती है। यह बीमारी आमतौर पर एड्रेनल ग्लैंड यानी अधिवृक्क ग्रंथि से शुरू होती है।
न्यूरोब्लास्टोमा के लक्षण : चलने में संतुलन बिगड़ना, आंखों में बदलाव आना (आंखें नम रहना), शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द रहना। इम्यून सिस्टम की कुछ कोशिकाओं से शुरू होने वाले उच्च रक्तचाप लिम्फोमा को ल्यम्फोसिट्स कहते हैं। यह कैंसर लसीकापर्व और लसीका ऊतक जैसे टॉन्सिल्स पर असर डालता है। यह बोनमैरो और अंगों पर नकारात्मक असर डालता है। साथ ही जिस जगह पर यह कैंसर फैल रहा है, उस जगह के मुताबिक भी इसके अन्य लक्षण होते हैं।
हॉजकिन्स लिम्फोमा : वैसे हॉजकिन्स लिम्फोमा नाम की बीमारी 5 साल तक के बच्चों में नहीं होती है। कैंसर का यह प्रकार बच्चों और वयस्कों में एक जैसा होता है, यहां तक कि एक ही तरह का ट्रीटमेंट भी दोनों पर कारगर होता है।
नॉन-हॉजकिन्स लिम्फोमा : हॉजकिन्स लिम्फोमा की तुलना में नॉन-हॉजकिन्स लिम्फोमा कम उम्र के बच्चों में ज्यादा पाया जाता है। फिर भी यह कैंसर तीन साल से कम उम्र के बच्चों में कम ही देखा जाता है। इस कैंसर के सामान्य प्रकार बच्चों और वयस्कों में अलग-अलग होते हैं।
आमतौर पर यह कैंसर तेजी से फैलता है, जिसके कारण इसे तत्काल गंभीर ट्रीटमेंट की जरूरत होती है। हालांकि बच्चों में इस बीमारी का इलाज वयस्कों की तुलना में बेहतर नतीजे देता है।
लिम्फोमा के लक्षण : गले और कांख की लिम्फ नोड्स यानी कि लसीकापर्व में सूजन आना, तेजी से वजन कम होना, बुखार, रात में पसीना आना, कमजोरी होना।
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