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ऑफिस का तनाव देता है बर्न आउट सिंड्रोम, जाने कैसे बचें?

भारत में केंद्र सरकार ने प्रस्ताव रखा है कि सरकारी संस्थानों और कॉरपोरेट दफ्तरों में 5 मिनट का योग अवकाश या वाई-ब्रेक जरूरी किया जाएगा। इसका मकसद कर्मचारियों का तनाव दूर करना है, ताकि वे तरोताजा होकर काम कर सकें। भारत सरकार की यह पहल बर्न आउट सिंड्रोम से जुड़ी है। ऑफिस में काम का तनाव और दबाव आम बात हैं, लेकिन अक्सर यह तनाव सेहत के लिए नुकसानदायक बन जाता है। इस स्थिति को बर्न-आउट सिंड्रोम कहा गया है। पिछले साल ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसको बीमारी माना था। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, ऑफिस में काम करने के कारण होने वाली थकान भी एक बीमारी ही है। इसका सीधा संबंध काम का तनाव और दबाव है, जिसका विपरीत असर कर्मचारियों की सेहत पर पड़ रहा है।

टेंशन से पीड़ित इंसान को हमेशा चिंता और अनिश्चितता महसूस होती रहती है। ऐसे लोग कई बीमारियों से ग्रस्त रहते हैं। जिनमें पेट में दर्द, मांसपेशियों में ऐंठन और जोड़ों में दर्द से लेकर हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज और हार्ट संबंधी बीमारियां भी हो सकती हैं। यूरोपियन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, बर्न आउट सिंड्रोम का खतरा उन लोगों में ज्यादा होता है तो ऑफिस के बाद घर पर भी वही काम करते हैं। इससे काम का तनाव बना रहता है।

बर्नआउट सिंड्रोम के लक्षण

डब्ल्यूएचओ ने बर्न आउट सिंड्रोम के जो लक्षण बताएं हैं, वो इस प्रकार हैं –

थकान

काम पर फोकस न कर पाना

हमेशा नकारात्मक बातें करना

कार्यक्षमता घटना

काम का तनाव घर तक चला जाना

खाने-पीने में मन नहीं लगना

बहुत ज्यादा खाना या बिल्कुल भूख नहीं लगना

ब्लड प्रेशर अचानक कम या ज्यादा होना

चिढ़चिढ़ा स्वभाव होना

बर्नआउट सिंड्रोम से ऐसे बचें

ऑफिस में कोई समस्या है या अपनी जिम्मेदारी को पूरा करने में कोई परेशानी हो रही है तो अपने अधिकारियों से बात करें। बात करने से हर समस्या का समाधान निकल सकता है। बर्न आउट सिंड्रोम के मामले वहां गंभीर होते हैं जब कर्मचारी मन ही मन घुटता रहता है। इसलिए बात करें और सलाह लें। यदि किसी तरह का नशा करते हैं तो छोड़ दें। योग और प्राणायाम इस बीमारी से लड़ने में बहुत फायदेमंद हो सकता है। गहरी सांस वाले प्राणायाम करें। नियमित योग से आप ऐसे हालात का मजबूती से सामने कर पाएंगे। अपने खानपान पर ध्यान दें। सेहत को नुकसान पहुंचाने वाली चीजों के बजाए पौष्टिक चीजें खाएंगे तो शरीर में सकारात्मकता आएगी। डाइट में फल शामिल करें। नींद में कोई कमी न रखें। अपनी क्षमताओं को रोज बढ़ाएं। नई चीजें सीखें। इससे आत्मविश्वास बढ़ेगा। सोने से पहले अच्छे संदेश या किताबें पढ़ें। छुट्टी वाले दिन काम करने के बजाए परिवार के साथ वक्त गुजारें। आउटिंग पर जाएं। अपने शौक पूरे करने के लिए समय निकालें। दिनभर में कुछ समय मजाक के मूड में रहें। ठहाका लगाकर हंसें। ज्यादा समस्या होने पर डॉक्टर से मिलें।

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