लुधियाना : शहर में पीने के पानी की सप्लाई के लिए रोजाना जमीन के नीचे से 700 मिलियन लीटर पानी निकाला जा रहा है। नतीजा यह है कि हर साल शहर में भू-जल स्तर तीन फीट नीचे जा रहा है। लगातार भू-जल स्तर गिरने से सरकार अब पेयजल के लिए भू-जल के बजाय नदियों के पानी का इस्तेमाल करने पर जोर दे रही है। नगर निगम लुधियाना ने भी पीने के पानी की सप्लाई सिधवां नहर से करने के लिए 3200 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट तैयार करवा लिया है, जिस पर निगम अफसरों व वर्ल्ड बैंक के अफसरों में सहमति बन गई।
जोन डी में कंसल्टेंट कंपनी ने निगम अफसरों व वर्ल्ड बैंक के अफसरों को प्रोजेक्ट की प्रेजेंटेशन दी। अब मेयर बलकार सिंह संधू इस पूरे प्रोजेक्ट को निगम हाउस की बैठक में सभी पार्षदों के सामने रखेंगे और फिर उनकी सहमति लेकर हरी झंडी देंगे। जोन डी में प्रोजेक्ट की प्रेजेंटेशन दी गई, जिसमें मेयर बलकार सिंह संधू, सीनियर डिप्टी मेयर शाम सुंदर मल्होत्रा, डिप्टी मेयर सर्बजीत कौर, नेता प्रतिपक्ष हरभजन सिंह डंग, निगम कमिश्नर कंवलप्रीत कौर बराड़ समेत निगम के अफसर मौजूद रहे। विश्व बैंक के प्रतिनिधि व कंसल्टेंट कंपनी के अधिकारी भी मौजूद रहे। बैठक में उपस्थित मेयर समेत तमाम अफसरों ने इसे शहर के लिए जरूरी बताया।
कई सालों से चल रही थी बात, अब रिपोर्ट हुई तैयार
नहर से पीने के पानी की सप्लाई 24 घंटे दिए जाने के प्रोजेक्ट पर कई सालों से बात चल रही थी। नगर निगम ने इसके लिए अलग-अलग कंपनियों से प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी तैयार करवाई, लेकिन यह प्रोजेक्ट फंड की कमी के कारण आगे नहीं बढ़ रहा था और निगम बार-बार विश्व बैंक की तरफ नजर जमाकर बैठा था। अब विश्व बैंक ने इस प्रोजेक्ट के लिए फंड देने पर हामी भर दी। विश्व बैंक इस प्रोजेक्ट पर 3200 करोड़ रुपये खर्च करने को तैयार हो गया है।
इस तरह से काम करेगी योजना
योजना के मुताबिक सिधवां नहर से पानी लेकर तीन अलग-अलग जगहों पर वाटर स्टोरेज टैंक बनाए जाएंगे। उसके बाद वाटर प्योरिफायर लगाए जाएंगे, जिसमें पानी को साफ करके पीने लायक बनाया जाएगा। वहां से पानी को वाटर सप्लाई लाइनों में भेजा जाएगा। इस योजना में शहर की पूरी वाटर सप्लाई लाइनों को भी बदला जाना है। सभी घरों में वाटर मीटर लगेंगे और उसके हिसाब से लोगों से बिल वसूले जाएंगे।
आठ से नौ घंटे रह जाती है कटौती के बाद सप्लाई
शहरवासियों को पीने के पानी की सप्लाई अभी दिन में दस घंटे होती है। गर्मियों में जब पानी की खपत ज्यादा हो जाती है तो निगम इसमें कटौती कर देता है और सप्लाई आठ से नौ घंटे रह जाती है।
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटों की क्षमता भी बढ़ेगी
शहर में एक लाख से ज्यादा सबमर्सिबल पंप लगे हैं, जिससे रोजाना 700 मिलियन लीटर पानी एसटीपी तक जा रहा है, जबकि नगर निगम के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटों की क्षमता 466 एमएलडी है। एसटीपी ओवरलोड होने की वजह से अभी भी सही तरीके से काम नहीं कर रहे हैं। 24 घंटे पानी की सप्लाई देने के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटों की क्षमता भी बढ़ानी होगी। यह प्रोजेक्ट शहर के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। सभी पार्षदों से भी इस प्रोजेक्ट पर सहमति लेनी है इसके लिए हाउस की बैठक इसी माह बुलाई जा रही है।
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