एक नए एंटी बैक्टीरियल पदार्थ की खोज की गई है जिससे स्मार्टफोन का बाहरी कवर बनाया जा सकता है। यह कवर घातक वायरस और बैक्टीरिया को फैलने से रोकने में मददगार साबित हो सकता है। ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने एक थ्री डी प्रिंटेड पदार्थ बनाया है जो ऐसे बैक्टीरिया का खात्मा कर सकता है, जो एंटीबायोटिक से भी नहीं मरते जैसे की ‘एमआरएसए’।
रोजमर्रा प्रयोग में आने वाले उत्पादों में हो सकता है इस्तेमाल : वैज्ञानिकों का मानना है कि इस पदार्थ को रोजमर्रा इस्तेमाल होने वाले उत्पादों, अस्पतालों, दरवाजों के हैंडल, खिलौनों और कई अन्य जगहों पर किया जा सकता है। यह पदार्थ रोगाणुओं को फैलने से रोक कर कई लोगों की जान बचा सकता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ शेफील्ड के शोधकर्ता कैंडिस माज्यूस्की ने कहा, हानिकारक बैक्टीरिया को फैलने से रोकना, संक्रमण और एंटीबायोटिक के प्रति बढ़ता प्रतिरोध चिंता का विषय बन गया है। वर्तमान में किसी भी थ्री डी प्रिंटेड उत्पाद में कोई खासियत नहीं है। उत्पादों के निर्माण के दौरान उसमें एंटी बैक्टीरियल पदार्थ का इस्तेमाल करने से समस्या को काफी हद तक सुलझाया जा सकता है।
ऐसे बनाया पदार्थ : यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने थ्री डी प्रिंटिग तकनीक को सिल्वर आधारित एंटी बैक्टीरियल पदार्थ के साथ मिलाकर एक पदार्थ तैयार किया है। शोधकर्ताओं ने कहा, हमने व्यावसायिक रूप से उपलब्ध एंटीमाइक्रोबियल पदार्थ बायोकोटे बी65003 को लेजर सिनटेरिंग पाउडर के साथ मिलाया और एक एंटीमाइक्रोबियल पदार्थ तैयार किया है जिसका इस्तेमाल हर तरह के उत्पाद में किया जा सकता है।
शोध के अनुसार इस पदार्थ को वर्तमान में मौजूद थ्री डी प्रिंटिंग तकनीक के साथ जोड़ा जा सकता है। इसके द्वारा बनाए गए पुर्जे या उपकरण हानिकारक रोगाणुओं को मारने में पूरी तरह सक्षम होंगे। इन पदार्थों का प्रयोग लैब में निर्मित इंसानी कोशिकाओं पर भी करके देखा गया और इसे सुरक्षित पाया गया। इस पदार्थ पर लैब में कई रोगाणुओं का परीक्षण किया गया। ये कई तरह के रोगाणुओं का खात्मा करने में सक्षम पाया गया।
क्या है एमआरएसए एमआरएसए यानी मेथिसिलिन प्रतिरोधी स्टैफिलोकोकस ऑरियस एक प्रकार का बैक्टीरिया है। इस बैक्टीरिया से त्वचा, रक्त और हड्डियों में संक्रमण हो जाता है और इस बैक्टीरिया पर एंटीबायोटिक दवाओं का कोई असर नहीं पड़ता है। यह बैक्टीरिया इलाज को विशेष रूप से कठिन बनाता है। स्टैफिलोकोकस ऑरियस बैक्टीरिया लगभग 30 फीसदी लोगों में नाक, बगल, कमर व कूल्हों में फैलता है। यह शरीर के रक्तप्रवाह पर हमला कर सकता है और जहरीले विषाक्त पदार्थों को रिलीज कर सकता है।
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