फ्लैट फुट की समस्या को नजरअंदाज करना कई बार बड़ी मुश्किल का कारण बन सकता है। इसलिए इस पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। इसके उपचार में ज्यादा देर करने पर समस्या और बढ़ सकती है। इस समस्या को कैसे पहचानें और जरूरत पड़ने पर कैसे कराएं उपचार, जानकारी देता आलेख
फ्लैट फुट बच्चों और वयस्कों में पाई जानी वाली सबसे आम समस्याओं में से एक है। फ्लैट फुट वाले लोगों के पैर में आर्च सामान्य से कम होता है या ऐसे व्यक्ति का पैर पूरी तरह जमीन को छूता है। एक अनुमान के मुताबिक, भारत में 20 से 25 फीसदी लोगों का पैर फ्लैट फुट होता है। इनमें से ज्यादातर लोगों को इसकी वजह से कोई परेशानी नहीं होती, लेकिन कुछ वयस्कोंऔर बच्चों को इससे गंभीर दर्द भी हो सकता है।
बच्चों में फ्लैट फुट
यह जानना जरूरी है कि 2-3 साल की उम्र में सारे बच्चे फ्लैट फुट वाले ही होते हैं, क्योंकि इसी उम्र में पैरों में आर्च बनना शुरू होता है। आमतौर पर 7 साल की उम्र तक तकरीबन 40 फीसदी बच्चे फ्लैट फुट से युक्त होते हैं और इनमें से 20 फीसदी बच्चों के पैर वयस्क जीवन में भी फ्लैट फुट बने रहते हैं।
दो तरह के फ्लैट फुट
बच्चों में फ्लैट फुट दो प्रकार के होते हैं। इनके बारे में समझना बहुत जरूरी है, क्योंकि दोनों मामलों में इसे अलग ढंग से मैनेज करना होता है। जब बच्चा चल नहीं रहा है, उस समय पैर में आर्च दिखाई दे और चलने के दौरान पैर फ्लैट हो जाए, तो आमतौर पर इसमें सुधार संभव है। अगर बच्चे के चलने या आराम करने के दौरान आर्च दिखाई न दे, तो इसे ठीक करना मुश्किल होता है।
ऑर्थोपेडिक सर्जन से कराएं जांच
फ्लैट फुट से पीड़ित बच्चों की जांच ऑर्थोपेडिक सर्जन से करानी चाहिए, ताकि वह फ्लैट फुट के प्रकार और इसके सही इलाज की सलाह दे सकें।
फ्लैट फुट के अन्य कारण
आनुवंशिक कारक: अगर आपके माता-पिता या परिवार में यह समस्या है, तो बच्चे में फ्लैट फुट की आशंका बढ़ जाती है।
न्यूरोलॉजिकल या मस्कुलर रोग (मांसपेशियों या तंत्रिकाओं से जुड़े रोग) : जैसे सेरेब्रल पाल्सी, मस्कुलर डिस्ट्रोफी आदि।
अगर वयस्क होने पर हो जाए फ्लैट फुट
अगर आपका पैर पहले फ्लैट फुट नहीं हो और वयस्क होने पर हो जाए, तो थोड़ी चिंता की बात है। यह समस्या आमतौर पर प्रौढ़ उम्र की महिलाओं में दिखती है, जोे अकसर टिबिया या टखने की मांसपेशियों (जो आर्च को सपोर्ट देती हैं) में कमजोरी के कारण होती है। हाल ही में अगर आपका वजन बढ़ गया है, तो इसकी वजह से भी मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं। हार्मोनल बदलाव, गर्भावस्था, डायबिटीज या कभी-कभी पैर में चोट के कारण भी ऐसा हो सकता है। ऐसे मामलों में आर्थोपेडिक सर्जन की सलाह लेनी चाहिए।
फ्लैट फुट के आम लक्षण
इसमें पैरों में थकान महसूस होती है। ऐसे बच्चे अपने साथियों की तरह नहीं चल पाते। इनके लिए दौड़ने, कूदने जैसी गतिविधियों में दिक्कत आती है। इसके अलावा पैर में दर्द होता है। शुरुआत में पैर से दर्द शुरू होता है और फिर घुटनों, पीठ के निचले हिस्से और कूल्हे तक दर्द पहुंच सकता है। इस कारण शरीर के वजन का वितरण असमान हो जाता है, जो बड़ी समस्या का कारण बन सकता है।
क्या है इलाज
फ्लैट फुट को इलाज से ठीक किया जा सकता है। शुरुआती इलाज में कुछ व्यायाम और विशेष फिटिंग के जूते पहनने की सलाह दी जाती है। इस तरह के जूते से आर्च पर दबाव पड़ता है और पैर में दर्द कम होता है। पोस्टीरियर टिबियल टेंडोनाइटिस से पीड़ित लोगों के लिए भी इस तरह का मेडिकल आर्च फायदेमंद साबित होता है।
इलाज में सहायक
वजन कम करना भी ऐसे लोगों के लिए फायदेमंद होता है।
जब तक सूजन कम न हो जाए, एंकल ब्रेस पहनने से फायदा हो सकता है। डॉक्टर दर्द के समय आराम करने की सलाह भी देते हैं।
अगर इन सबसे आराम न मिले, तो सर्जरी भी की जा सकती है। इसके बाद व्यक्ति स्पोट्र्स में भी हिस्सा ले सकता है।
जिन बच्चों को रिजिड फ्लैट फुट होता है, उन्हें जल्दी सर्जरी की जरूरत होती है। आधुनिक सर्जिकल तकनीकों से मरीज जल्दी ठीक होता है और उसे दर्द भी कम होता है।
सही फुटवियर पहनें
फ्लैट फुट के लिए सही फुटवियर चयन करें।
आर्च में सपोर्ट वाला फुटवियर हो।
शॉक-एब्जार्बिंग सोल बेहतर होता है।
(इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर के फुट एंड एंकल विभाग के प्रमुख व सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मनिन्दर शाह से की गई बातचीत पर आधारित)
असरदार हैं ये व्यायाम
अमेरिकन एकेडमी ऑफ ऑर्थोपेडिक सर्जन्स के अनुसार, ऐसे कुछ व्यायाम हैं, जिनसे पैरों और टखनों को काफी लाभ होता है। इसके लिए फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह लेनी चाहिए।
हील कोर्ड स्टे्रचिंग
इसके लिए दीवार के सामने खड़े हो जाएं। एक पैर को आंख के स्तर तक दीवार पर रखें। दूसरे पैर का घुटना मोड़ें और कूल्हे को दीवार की तरफ पुश करें। घुटने के निचले हिस्से को इतना मोड़ें कि दर्द न हो। अगले पैर के घुटने को तब तक मोड़ें, जब तक पिछले पैर में खिंचाव महसूस न हो। 30 सेकंड के विश्राम पर 10 बार इसका अभ्यास करें।
गोल्फ बॉल रोल
इसके लिए आपको एक कुर्सी और गोल्फ बॉल की जरूरत पड़ेगी। कुर्सी पर बैठें, पैरों को जमीन पर मजबूती से टिकाएं। पैरों के नीचे गोल्फ बॉल रखें और इसे पैर के आर्च के नीचे रखकर आगे-पीछे रोल करें। ऐसा 2 मिनट तक करें। इस बात का ध्यान रखें कि अभ्यास नियमित रूप से चले। कोई तकलीफ महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।
आर्च लिफ्ट
सीधे खड़े हो जाएं। अब इस तरह से झुकें कि शरीर का वजन कूल्हों पर आ जाए। ध्यान रखें कि इस समय पैर की उंगली जमीन पर टिकी हो। आर्च को जहां तक हो सके, ऊपर उठाएं। फिर पैर को सामान्य अवस्था में ले आएं। इस व्यायाम का अभ्यास 10-15 बार 2-3 सेट में करें। शुरुआत में इसका अभ्यास किसी की देखरेख में करें।
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