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गर्भावस्था में भी बच्चे को पार्किंसन का खतरा

एक हालिया अध्ययन में पता चला है कि जिन लोगों को 50 वर्ष की उम्र से पहले पार्किंसन की समस्या होती है, उसकी मस्तिष्क की तंत्रिकाएं जन्म के पहले से ही विकृत हो सकती हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि बच्चे के जन्म से पहले ही उसके मस्तिष्क की तंत्रिकाएं कमजोर होने के चलते इस रोग के विकसित होने की संभावना अधिक रहती है।

शोध के मुताबिक,पार्किंसन दिमाग से जुड़ी बीमारी है, जिसमें शरीर के विभिन्न अंगों की गतिविधियों पर प्रतिकूल असर पड़ता है। यह समस्या तब होती है जब मस्तिष्क की तंत्रिकाएं क्षतिग्रस्त या मृत पड़ जाती हैं। दिमाग की तंत्रिकाओं के क्षतिग्रस्त या मृत हो जाने से डोपामाइन हार्मोन का स्तर कम हो जाता है।

इस रोग में कोई भी गतिविधि करने में परेशानी होना, मांसपेशियों का कठोर होना, कंपकंपी होना और संतुलन बनाने में मुश्किल होना जैसे लक्षण समय के साथ और बिगड़ते जाते हैं। शोधकर्ताओं ने कहा, हालांकि इस बीमारी की पहचान अधिकतर 60 या इससे अधिक उम्र में होती है। 21 से 50 वर्ष के बीच लगभग 10 फीसदी लोगों में ही इस बीमारी का पता चल पाता है।

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