नई दिल्ली.राजधानी में उपहार सिनेमा हादसे के 22 साल बाद बड़ा अग्निकांड हुआ। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से करीब 3.5 किमी दूर अनाज मंडी के रिहायशी इलाके में 4 मंजिला इमारत में चल रही फैक्ट्री में रविवार तड़के 5:22 बजे आग लग गई। उस वक्त फैक्ट्री के अंदर 59 लोग सो रहे थे। इनमें से 43 लोगों की मौत हो गई, 16 जख्मी हैं। इनमें से 28 की शिनाख्त कर ली गई है, जिनमें 25 बिहार के रहने वाले हैं। ज्यादातर मौतें दम घुटने से हुईं। आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट है। हादसे की जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे को भयावह बताया है।
इससे पहले 13 जून 1997 को दिल्ली के उपहार सिनेमा में लगी आग में 59 लोगों की मौत हुई थी।
हिरासत में फैक्ट्री मालिक और मैनेजर
दिल्ली पुलिस ने फैक्ट्री मालिक रेहान और मैनेजर फुरकान को गिरफ्तार कर लिया है। इनकेखिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया है। ऐसे मामले में दोषी पाए जाने पर 10 साल जेल की सजा हो सकती है।
संकरी गलियों की वजह से रेस्क्यू में देरी
अनाज मंडी घनी आबादी वाला इलाका है। यहां गलियां संकरी हैं।दमकल विभाग के अफसर सुनील चौधरी ने बताया कि संकरी गलियों की वजह से रेस्क्यू के लिए टीम को पहुंचने में देरी हुई। मौतों का आंकड़ा इस वजह से भी बढ़ गया। स्कूल बैग, बॉटल बनाए जाते थे। प्लास्टिक मटेरियल होने की वजह से धुआं ज्यादा हुआ और दम घुटने से लोगों की जान गई। इस इलाके में ज्यादातर फैक्ट्रियों के पासअग्निशमन विभाग का अनापत्ति प्रमाणपत्र(एनओसी) भी नहीं है। एक बुजुर्ग ने बताया कि जिस फैक्ट्री में आग लगी, वहां 10-15 मशीनें लगी थीं।
घनी आबादी में एक हजार फैक्ट्रियां, बिजली के तारों का जाल
यहां मौजूद लोगों ने कहा कि इन हालात के लिए अधिकारी जिम्मेदार हैं। ऐसी करीब एक हजार फैक्ट्रियां और 40 हजार दुकानें हैं। ज्यादातर फैक्ट्रियां अवैध हैं। इस इलाके में संकरी गलियां हैं, जिनमें बिजली के तारों का जाल फैला है। इनके चलते यह इलाका जिंदा टाइम बम जैसा हो गया है। जिस इमारत में आग लगी, उसके हर कमरे में कुछ न कुछ बनाया जाता था। कोई स्कूल बैग बनाता था तो कोई खिलौने। कुछ प्रिंटिंग प्रेस भी हैं। शनिवार को भी इसी इमारत के पीछे स्थित बिल्डिंग में आग लगी थी, लेकिन तब कोई नुकसान नहीं हुआ।
आखिरी यादों के बीच अस्पतालों में अपनों की तलाश
फंस गया हूं, जिंदा नहीं बचूंगा: हादसे में मारे गए बिहार निवासी शाकिर हुसैन (28) ने आखिरी कॉल अपनी गर्भवती पत्नी को किया था। शाकिर के भाई जाकिर ने कहा कि भाई ने अपनी पत्नी से कहा कि मैं फंस गया हूं। बहुत धुआं है। मैं जिंदा वापस नहीं आऊंगा। जाकिर ने कहा कि शाकिर के 3 बच्चे हैं।
अब्बू मुझे बचा लो: जयप्रकाश नारायण अस्पताल में मौजूद मुरादाबाद के नसीफ (58) ने कहा, “मैं हादसों में अपने दो बेटे पहले ही खो चुका हूं। मेरा सबसे बड़ा बेटा इमरान (35) इसी फैक्ट्री में काम करता था। उसने मुझे हादसे के वक्त फोन किया। उसने कहा कि अब्बू यहां बहुत बड़ी आग लग गई है। मैं जिंदा बचकर बाहर नहीं आ पाऊंगा। अब्बू मुझे बचा लो। इसके बाद उसका फोन कट गया। मैं फोन लगाता रहा, पर उसने नहीं उठाया। इसी हादसे में मेरा बेटा इकराम (32) भी मारा गया। अफसोस है कि उससे बात नहीं कर पाया।’
चचेरे भाइयों का पता नहीं चल रहा: अनाज मंडी में ही बैग बनाने की फैक्ट्री में काम करने वाले वाजिद अली (20) ने कहा- मेरे एक चचेरे भाई की बॉडी मिल गई है। लेकिन, चचेरे भाई के भी दो भाई हैं। उनका पता नहीं चल रहा है। लेडी हार्डिंग अस्पताल में 10 लोगों में से 9 की मौत हो गई है। जो घायल है, वह आईसीयू में है।
अल्लाह रहमदिल, सहमत मिल जाएगा: हरि नगर में रहने वाले मो. हाकिम रिक्शा चलाने का काम करते हैं। लेडी हार्डिंग में उन्होंने अपने 13 साल के भतीजे मो. महबूब की बॉडी देखी और निढाल हो गए। पर 14 साल के दूसरे भतीजे मो. सहमत के मिलने की उम्मीद भी उनकी आंखों में नजर आई। हाकिम ने कहा- अल्लाह रहमदिल है। हम सहमत को ढूंढ लेंगे, वह मिल जाएगा।
ज्यादातर मृतक बिहार के समस्तीपुर, सहरसा और सीतामढ़ी के निवासी
डीसीपी नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट मोनिका भारद्वाज ने बताया- अब तक 43 लोगों की मौत हुई है। इनमें से 28 की शिनाख्त हुई। 28 में 25 मृतक बिहार के रहने वाले हैं और इनमें भी सबसे ज्यादा तादाद समस्तीपुर, सहरसा और सीतामढ़ी के निवासियों की है। लोकनायक जयप्रकाश नारायण 51 लोगों को भर्ती कराया गया और यहां अब तक 34 की जान गई, इनमें से 23 की शिनाख्त हुई है। लोहिया हॉस्पिटल में भर्ती 11 में से 9 की मौत हुई और इनमें से 3 की शिनाख्त हुई।
मृतक का नाम | निवासी |
इमरान | मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) |
मो. साजिद | मुजफ्फरपुर (बिहार) |
मुशर्रफ अली | बिजनौर (उत्तर प्रदेश) |
गुड्डू | समस्तीपुर (बिहार) |
मो. सदरे | समस्तीपुर (बिहार) |
मो. साजिद | समस्तीपुर (बिहार) |
मो. इकराम | मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) |
अकबर | समस्तीपुर (बिहार) |
फैसल | सहरसा (बिहार) |
सलीम | सहरसा (बिहार) |
अफसार | सहरसा (बिहार) |
शाकिर | — |
अफजल | समस्तीपुर (बिहार) |
साजिद | समस्तीपुर (बिहार) |
मुखिया | — |
एनुल | सीतामढ़ी (बिहार) |
गयासुद्दीन | सीतामढ़ी (बिहार) |
जोजो | समस्तीपुर (बिहार) |
गनवा | समस्तीपुर (बिहार) |
दुलारे | सीतामढ़ी (बिहार) |
अब्बास | मुजफ्फरपुर (बिहार) |
राजू | मुजफ्फरपुर (बिहार) |
अय्यूब | — |
नवीन कुमार | बेगूसराय (बिहार) |
मो. गुलाब | सीतामढ़ी (बिहार) |
सनाउल्लाह | सीतामढ़ी (बिहार) |
मो. सज्जार | सहरसा (बिहार) |
जाहिद | सहरसा (बिहार) |
पुलिस की चिट्ठी सोशल मीडिया पर वायरल
उपहार सिनेमा में फिल्म चलते वक्त हुआ था हादसा
दक्षिण दिल्ली के ग्रीन पार्क स्थित उपहार सिनेमा में लगी आग में 100 से ज्यादालोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। 13 जून 1997 को जिस समय यह घटना हुई, थिएटर में बॉर्डर फिल्म चल रही थी। इसी दिन सुबह 6.55 बजे थिएटर परिसर में लगे दो ट्रांसफॉर्मरों को बिजली बोर्ड ने ठीक किया था। माना जाता है कि मरम्मत ठीक से नहीं हुई और शाम 4.55 बजे इन ट्रांसफॉर्मर में आग लग गई। इस आग ने पूरे सिनेमा हॉल को अपनी चपेट में ले लिया था।
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