नई दिल्ली. अनाज मंडी स्थित एक बिल्डिंग में रविवार को आग लगने से 43लोगों की मौत हो गई। दमकल विभाग के मुताबिक, जिस इलाके में आग लगी, वह घनी आबादी वाला है। साथ ही वहां गलियां भी काफी संकरी हैं। ऐसे में दमकल विभाग की गाड़ियों को घटनास्थल में पहुंचने में समय लग गया। इसी कारण मौतों की संख्या में इजाफा हुआ। चीफ फायर ऑफिसर अतुल गर्ग ने बताया कि इमारत में एक ही दरवाजा था, प्लास्टिक का सामान जलने से जहरीला धुआं उठा, जिसने लोगों का दम घोंट दिया। हादसे से ठीक एक दिन पहलेइसी जगह एक फैक्ट्री में आग लगी थी, लेकिन उसमें जान-माल का नुकसान नहीं हुआ था।
अतुल गर्ग के मुताबिक, उन्हें आग की जानकारी सुबह 5:20 बजे मिली। इसमें यह नहीं बताया गया था कि आग जिस बिल्डिंग में लगी उसमेंफैक्ट्री चल रही थीऔर वहां लोग फंसे हैं।
ज्यादातर फैक्ट्रियों के पास फायर क्लियरेंस नहीं
अनाज मंडी घनी आबादी वाला इलाका है। यहां गलियां संकरी हैं। दमकल विभाग के अफसर सुनील चौधरी ने बताया कि संकरी गलियों की वजह से रेस्क्यू के लिए टीम को पहुंचने में देरी हुई। मौतों का आंकड़ा इस वजह से भी बढ़ गया। स्कूल बैग, बॉटल बनाए जाते थे। प्लास्टिक मटेरियल होने की वजह से धुआं ज्यादा हुआ और दम घुटने से लोगों की जान गई। इस इलाके में ज्यादातर फैक्ट्रियों के पास अग्निशमन विभाग का अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) भी नहीं है। एक बुजुर्ग ने बताया कि जिस फैक्ट्री में आग लगी, वहां 10-15 मशीनें लगी थीं।
घनी आबादी में एक हजार फैक्ट्रियां
यहां मौजूद लोगों ने कहा कि इन हालात के लिए अधिकारी जिम्मेदार हैं। ऐसी करीब एक हजार फैक्ट्रियां और 40 हजार दुकानें हैं। ज्यादातर फैक्ट्रियां अवैध हैं। इस इलाके में संकरी गलियां हैं, जिनमें बिजली के तारों का जाल फैला है। इनके चलते यह इलाका जिंदा टाइम बम जैसा हो गया है। जिस इमारत में आग लगी, उसके हर कमरे में कुछ न कुछ बनाया जाता था। कोई स्कूल बैग बनाता था तो कोई खिलौने। कुछ प्रिंटिंग प्रेस भी हैं। शनिवार को भी इसी इमारत के पीछे स्थित बिल्डिंग में आग लगी थी, लेकिन तब कोई नुकसान नहीं हुआ।
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