बीजिंग.एक तरफ जहां भारत की अदालतों में न्यायिक मामलों का बोझ सुर्खियों में है, वहीं चीन ने ई-कोर्ट खोलकर मिसाल पेश की है। इसके लिए ब्लॉकचैन, क्लाउड कंप्यूटिंग, सोशल मीडिया और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। चीन के हेंगझाऊ शहर में अगस्त 2017 में पहले इंटरनेट (साइबर) कोर्ट की स्थापना की गई थी। पहले ही महीनेमें 12074 मामले आए थे, जिनमें से 10391 का फैसला हो गया। इस कोर्ट में जज आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीक पर काम करते हैं।
यानी, जज एक मशीन या रोबोट हैं, जिसके सामने वादी-प्रतिवादियों को पेश होना है। ये पेशी भी वीडियो चैट के जरिए हो सकती है। सुनवाई, जिरह पूरी होने के बाद फैसला भी ऑनलाइन ही मिलता है। इस इंटरनेट कोर्ट में ऑनलाइन कारोबार के विवाद, कॉपीराइट के मामले, ई-कॉमर्स प्रोडक्ट लायबिलिटी दावों के मामले सुने जा रहे हैं। सबसे ज्यादा मामले मोबाइल भुगतान और ई-कॉमर्स से जुड़े हैं।
हेंगझाऊ के बादबीजिंग और गुआंगझाऊ में ई कोर्ट शुरू
इसके अलावा किसी भी सिविल विवाद से जुड़े शिकायतकर्ता को अपनी शिकायत ऑनलाइन रजिस्टर्ड कराने और बाद में लॉगइन करके अदालती सुनवाई में शामिल होने की सुविधा है। एआई से लैस वर्चुअल जज मामले की सभी प्रक्रियाओं पर नजर रखते हैं। हेंगझाऊ में इंटरनेट कोर्ट की स्थापना के बाद बीजिंग और गुआंगझाऊ में भी इसी तरह के चेंबर खोले गए।
ई कोर्ट में ऑनलाइन पेश होने की सुविधा
इन तीनों अदालतों में मिलाकर 1,18,764 मामले दर्ज किए गए जिनमें से 88,401 मामले निपटा दिए गए हैं। चीन के सोशल मीडिया मैसेजिंग प्लेटफॉर्म वी-चैट पर मोबाइल कोर्ट का भी विकल्प है, यानी चीन ने अपने नागरिकों को अदालत में शारीरिक रूप से हाजिर हुए बिना मामले की फाइलिंग, सुनवाई और सुबूत पेश करने की सुविधा देता है।
30 लाख मामले ऑनलाइन संभाले जा रहे हैं
हेंगझाऊ में शुरू की गई पहली ई कोर्ट में सुनवाई के नतीजे सकारात्मक रहे थे। केस फाइल करने से लेकर फैसले तक हर मामला औसतन 38 दिनों में निपटा दिया गया था। सुप्रीम पीपुल्स कोर्ट के अध्यक्ष और चीफ जस्टिस झाऊ किआंग बताते हैं कि इस साल अक्टूबर तक देश की 90% अदालतों में करीब 30 लाख मामले किसी न किसी रूप में ऑनलाइन संभाले जा रहे हैं।
Be First to Comment